किया तपहिं भागीरथ भारी। पुरब प्रतिज्ञा तसु पुरारी॥ एक कमल प्रभु राखेउ जोई। कमल नयन पूजन चहं सोई॥ स्तवं यः प्रभाते नरः शूलपाणे पठेत् सर्वदा भर्गभावानुरक्तः । प्रगट उदधि मंथन में ज्वाला। जरे सुरासुर भये विहाला॥ राधा चालीसा - जय वृषभान कुंवारी श्री श्यामा प्रगट उदधि मंथन में ज्वाला। जरे https://shiv-chalisa-lyrics-in-pu69799.wiki-promo.com/143154/shiv_chalisa_lyrics_in_gujarati_pdf_an_overview
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